उड़ो तितलियों....आसमान से आगे उड़ो
वह बड़ी खूबसूरत है...प्यारी है.... स्वच्छन्द है...उड़ती रहती है.. उसका काम ही उड़ते रहना है। यही उसका गुनाह है भ्रमरों के इस संसार में। इल्जाम यह है कि अगर मौका मिले तो खून...पसीना और आँसू तक पी सकती है। इसे तितली कहते हैं..अब मैं तितली पर क्यों लिख रही हूँ...तितली तो जयशंकर प्रसाद का एक उपन्यास है और मुंशी प्रेमचन्द भी गोदान में मालती को तितली ही कहते हैं। ये मजे की बात है कि तितलियों से परेशान इन्सानों की दुनिया में पिछले 25 सालों में 90 प्रतिशत मोनार्च तितलियाँ गायब हो चुकी हैं। मोनार्च को दुनिया की सबसे तेज उड़ने वाली तितली कहते हैं जो एक घंटे में 17 मील का सफर तय कर सकती है...ये तेज उड़ना ही इसकी परेशानी है और हाथ में न आना शायद इसका गुनाह है। इन्सान इसे पकड़ने की कोशिश करता है मगर दूसरे जीवों की तरह आसानी से हाथ में नहीं आती...हाथ आते हैं तो इसके ढेर सारे रंग...मतलब यह उड़कर भी आपकी दुनिया को रंगों से भर देती है। अच्छा तितलियों से सब प्यार करते हैं मगर अब वे डरने भी लगे हैं। कई बार लगता है कि आजाद उड़ती तितली सबकी आँखों में खटकती है...सब उसे कैद करना चाहते हैं और आजाद ख्याल की लड़कियाँ भी सबको नहीं सुहातीं। लोग दोनों को जमीन पर लाना चाहते हैं और जब हाथ में नहीं आ पातीं तो उसे मसल देना चाहते हैं। कहने का मतलब यह है कि तितलियों को इतनी इज्जत से नहीं देखा गया और आजाद ख्याल, अकेली लड़कियों के लिए तो सब प्रमाणपत्र लिए ही तैयार रहते हैं। हाल ही में जब एक तूफान आया तो उसका नाम भी तितली रख दिया गया। लड़कों के नाम पर तूफानों के नाम बहुत कम हैं...बाकी आएला, कटरीना जैसे नाम तो अक्सर दिखते हैं। मजे की बात यह है कि फूलों का रस भ्रमर भी पीता है और तितलियाँ भी फूलों पर मंडराती हैं मगर भ्रमर को लेकर सूर ने भ्रमरगीत लिख डाला..तितलियों को मिली उपेक्षा। वह बच्चों की दुनिया तक रहे..रंग - बिरंगी....दिखे...आँखों के सुकून के लिए बची रहे..ये सबको अच्छा लगता है मगर वह गम्भीर हो सकती है या इसको गम्भीरता से लिया जाना चाहिए..यह कोई समझना नहीं चाहता। सब उसे पकड़ना चाहते हैं, किताबों में कैद कर देना चाहते हैं, पन्नों के बीच। महादेवी वर्मा ने लिखा है - झड़ जाएगा फूल, न तुझको/ बचा सकेगा छोटी तितली/खिड़की में तू आ जा तितली! उनकी ये पँक्तियाँ देखिए - नन्हे तुझे पकड़ पाएगा/डिब्बी में रख ले जाएगा/फिर किताब में चिपकाएगा/मर जाएगी तब तू तितली/खिड़की में तू छिप जा तितली।
लोग तितलियों को पकड़ना चाहते हैं तो तितलियों से बचकर चलना चाहते हैं मगर तितलियों की आँखों में तो आकाश है, ढेर सारे सपने हैं, दुनिया को सुन्दर बनाने की चाह है, यह कोई नहीं समझता है। सब यूँ बचकर चलते हैं कि एक तितली के पंखों में जैसे आग है जो उनका घर नष्ट कर देगी...तितलियों से बचते हैं....भ्रमर भी बचता है जो खुद फूलों का रस पीकर उड़ता रहता है। एक फूल से दूसरा फूल...बस उसका यही लक्ष्य रहता है...मगर वह खुद को हमेशा निष्पाप बताने की कोशिश करता है और इधर तितलियों के उड़ने भर से ही सब काँपते हैं...मधुमक्खियाँ अपनी छत बचाती हैं मगर वह भी तितलियों को समझने की कोशिश नहीं करती। उसने तितली से कभी दोस्ती नहीं की और न भ्रमर का दोष देखा...तो तितलियों....ये संसार क्या भ्रमर और मधुमक्खियों तक सीमित है...? तो इनको इनके हाल पर छोड़ दो...कि तुम्हारा काम थम जाना नहीं है।
कुछ बात है तुममें, तभी तो परवीन शाकिर कहती हैं -काँटों में घिरे फूल को चूम आयेगी तितली/ तितली के परों को कभी छिलते नहीं देखा। तुम्हारा काम किसी द्वेष या अहंकार को ढोते रहना नहीं है...तुम इन दोनों से कहीं बेहतर की हकदार हो। कुछ बात है तुम्हारे भीतर...तो जो तुम्हें समान भाव से सम्मान न दे, वहाँ रहकर अपनी शान को जाया क्यों करना। वैसे भी अपने लक्ष्य को पूरा करने का हुनर और आस्था के रंग तुम्हारे पास हैं, तभी तो कैफ भोपाली ने कहा है -
गुल से लिपटी हुई तितली को गिरा कर देखो/
आँधियो तुम ने दरख़्तों को गिराया होगा।
आँधियों से टकरा जाने की यह जिद जिसमें हो, वह अगर तूफान नहीं है तो क्या है। तुम्हारा काम इस संसार को सुन्दर बनाना है....अगर उड़ना है तो किसी जंगल में उड़ो कि पेड़ों में जान आ जाए...गुजरना है तो किसी रेगिस्तान से गुजरो कि कड़ी धूप में तुम्हें देखकर किसी मुसाफिर के चेहरे पर मुस्कान आ जाए। तितलियों....उड़ो...उड़ती रहो...कि तुम तो बेपरवाह अच्छी लगती हो। प्रकृति ने तुमको बनाया ही इसीलिए है कि तुम संसार में सदाशयदा और स्नेह के रंग भरो। तुम्हें किसी की फिक्र नहीं होनी चाहिए और किसी की परवाह नहीं होनी चाहिए कि कौन तुमको किस नजर से, किस नजरिए से देखता या समझता है। कौन तुम्हारी शक्सियत को गम्भीरता से लेता है या नहीं लेता...तुम्हारे पास इतनी फुरसत ही कहाँ है कि तुम तो मशरूफ हो किसी रोते बच्चे को हँसा सको...कि तुम्हारे पंख किसी की प्रेरणा बनें...तुम्हारे रंग किसी कवि की कविता बनें और तुम खुद सृजन करो एक रंगों से भरे संसार का। तितलियों....तुम्हारे अन्दर वह शक्ति है जो बेरंग दुनिया में रंग भर सकती है...इस शक्ति को किसी के लिए जाया मत करो... इस उदास दुनिया को तुम्हारी हँसी चाहिए..उड़ो तितलियों कि तुम्हारी दोस्ती इस जमीन से भी है और उस आसमान से भी...दोनों तुम्हारे ही हैं।
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