संदेश

दिसंबर, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बात रंग पर नहीं, अश्लीलता पर कीजिए...खुद को देखिए, सुधरिए या रुदन बंद कीजिए

चित्र
बात रंग से अधिक अश्लीलता पर होनी चाहिए...बिकनी हिन्दी सिनेमा में कोई नयी बात नहीं है...दीपिका ने पहली बार नहीं पहनी...मैंने गाना थोड़ा सुना, अच्छा नहीं है, गीत और संगीत, दोनों खिचड़ी है...नरगिस से लेकर शर्मिला टैगोर और भी बहुतों ने पहनी है, मेरा नाम जोकर में सिमी ग्रेवाल को याद कीजिए एक समय था जब दीपिका अच्छी लग रही थीं, उन्होंने पीकू, छपाक, चेन्नई एक्सप्रेस जैसी, फिल्म भी की है, शाहरुख खुद राजू बन गया जेंटलमैन वीर- जारा, स्वदेश , चक दे इंडिया जैसी अच्छी फ़िल्में कर चुके हैं पठान में दोनों जैसे थके और खुद को, स्टारडम को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, समय आ गया है कि दोनों को अपनी उम्र के अनुसार अपने किरदार चुनने चाहिए,स्मिता पाटिल तब्बू, काजोल, विद्या बालन और कंगना ये कर चुके हैं शाहरुख को राजकुमार राव, फारुख शेख और संजीव कुमार से सीखना चाहिए आप हमेशा युवा नहीं रह सकते....वैष्णो देवी जाना सिर्फ एक स्टंट था और ये विवाद भी स्टंट है कहने का मतलब यह....फिल्म को फिल्म की तरह देखिए....पठान....अटेंशन की हकदार नहीं है स्टंट्स से कॅरियर न तो बचता है और न चल पाता है....शाहरुख

लड़कियों....प्यार के नाम पर सब कुछ कुर्बान मत करो...प्यार के आगे भी जिन्दगी है

चित्र
लड़कियाँ..बड़ी भावुक होती हैं लड़कियाँ..अगर कोई इनसे पूछे कि जिन्दगी में क्या चाहिए तो अधिकतर लड़कियाँ कह देंगी कि सिर्फ प्यार चाहिए...सुकून चाहिए...कोई समझे...कोई ऐसा चाहिए..। जब प्यार करती हैं तो आगे - पीछे नहीं देखतीं...भरोसा करती हैं..हद से ज्यादा...इतना ज्यादा विश्वास करती हैं कि उनको एक पल के लिए भी अपने प्यार के लिए सब कुछ छोड़ने में हिचक नहीं होती...और उनको क्या मिलता है..उनको मारकर टुकड़ों में काटकर कभी फ्रिजर में रखा जाता है, कभी जंगलों में फेंक दिया जाता है और कभी बहा दिया जाता है । श्रद्धा ने भी तो यही चाहा होगा.. और उसे मिला क्या....? क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों है कि लड़कियाँ सिर्फ प्यार के पीछे क्यों भागती हैं....? जन्म से ही उनका जीवन मृगतृष्णा सा रहता है..जहाँ पैदा होने के बाद से ही पराया बना दिया जाना...अपने ही परिवार में अवांछितों की तरह जीना..हर कदम पर भेदभाव किया जाना...हर कदम पर रोक - टोक लगाना, पाबंदी लगाना...आपके समाज में लड़कियों की परवरिश के लिए प्यार शब्द रहा ही कहाँ हैं ? वह इसी प्यार की तलाश में रहती हैं और जब प्यार के नाम पर छल करने वाले मिलते हैं