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किचेन पॉलिटिक्स.. शातिर घरेलू औरतों के खिलाफ मोर्चा खोलना जरूरी है

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किचेन पॉलिटिक्स...सुनने में बड़ा अजीब लगता था। रसोई और राजनीति..इनका क्या सम्बन्ध हो सकता है..रसोई में तो अन्नपूर्णा का निवास होता है। अब अन्नपूर्णा क्या जानें कि उनका प्रतिरूप कहलाने वाली स्त्रियाँ रसोई को हथियार बना सकती हैं और जिस भोजन को अमृत कहा जाता है, उसे अपने व्यंग्यबाणों से विष बनाने की कला भी जानती हैं। आमतौर पर इस देश में किसी भी गृहिणी को या तो बहुत उपेक्षा से देखा जाता है या फिर बहुत ही आदर से। इतना विश्वास या यूँ कहें कि अन्धविश्वास किया जाता है कि वह कुछ गलत कर सकती है या षडयंत्र रच सकती है...यह सोचना भी पाप लगता है लेकिन सत्य कुछ और है। यह स्त्रियाँ कुछ भी कर सकती हैं। वर्चस्ववादी राजनीति सिर्फ दफ्तरों या सियासत में नहीं होती बल्कि यह कहीं भी हो सकती है, घरों में हो सकती है और रसोई उसका शस्त्र होती है।  क्या अन्न का उपयोग ब्लैकमेलिंग के लिए, नीचा दिखाने के लिए या घर की सत्ता हासिल करने के लिए हो सकता है? हम विश्वास नहीं करना चाहते पर ये हो भी सकता है, होता है और होता चला आ रहा है। सास और ननदों से परेशान बहुओं को आप देखते आ रहे हैं...ससुराल में बेटियों का उत्पीड़न भी आप