संदेश

अगस्त, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
चित्र
भोजपुरी गीतों में परंपरा के नाम पर अपनी गलीज सोच का परिचय मत दीजिए...या तो पलंग ही तोड़ेंगे, घाघरा के ऊपर और नीचे ही देखेंगे या फिर आगे बढ़ने वाली लडकियों पर कुंठा ही निकालेंगे श्रीमान मनोज तिवारी जैसे गायक आखिर हिन्दी प्रदेश को अंधकार में क्यों रखना चाहते हैं, क्यों नहीं चाहते कि पुरुष थोड़ी बुद्धि के साथ हृदय भी रखें....? आप जैसे लोग समाज के, देश के असली दुश्मन ही नहीं देश द्रोही भी हैं...समाज की आधी शक्ति को अपने स्वार्थ के लिए दबाकर रखना , देश को पीछे ढकेलना है.. इसकी लोकप्रियता बताती है कि अशिक्षित और कुंठाग्रस्त लोगों की तादाद कम नहीं हुई...इस गीत का विरोध पुरजोर होना चाहिए बल्कि प्रतिबंधित होना चाहिए.. पर आपके गीत का जवाब आपको मिलेगा और आपके ही अंदाज में मिलेगा, लिखने और गाने वाले आप ही नहीं...विद्या और ज्ञान की देवी समानता सिखाती हैं...कुंठा और अहंकार से निकले शब्द टिकते नहीं.... शहर की हवा ने विवेक दिया है, पँख दिए हैं जिनको तमाम ताकत के बाद भी आप छीन नहीं सकते ...वैसे हम जंगल में भी रहेंगे तो अपने पंख उगा ही लेंगे... आप अपनी शर्ट पर बटन लगाना अपने लिए एक कप चाय बना

मणिपुर हो या मालदा...खतरनाक है आपका चयनित प्रतिवाद

चित्र
मणिपुर की घटना निश्चित रूप से शर्मनाक है मगर उससे भी घटिया वो सिलेक्टिव प्रतिवाद है, राज्य और पार्टी देखकर अपने मुखर होने का समय चुनता है, चाहे आप लेफ्ट हों या राइट हों, आप जब अपने क्षेत्र की घटनाओं पर शर्मनाक चुप्पी ओढ़े रहते हैं और विरोधी पार्टी के राज्य की घटनाओं पर तीव्र प्रतिवाद करने लग जाते हैं, विश्वास कीजिए आप सिर्फ एक पार्टी कार्यकर्ता और कैडर ही लगते हैं, जो अपनी पार्टी के प्रति वफादारी दिखाने में लगा है, प्रतिवाद जब टार्गेट करने पर आ जाता है, मुद्दा और न्याय, दोनों खत्म हो जाते हैं आपका प्रतिवाद हमारे घावों पर मरहम नहीं नमक लगाता है क्योंकि आप प्रतिवाद की आड़ में भी अपनी रोटियाँ सेंक रहे होते हैं, शर्म कीजिए और बस कीजिए...बोलिए तो ईमानदारी से बोलिए वर्ना मुँह पर वही टेप लगाकर बैठिए, जो अब तक लगाए हुए थे छीः सत्ता किसी की भी हो, युग कोई भी हो जाति कोई भी हो जीत किसी की भी हो प्रतिशोध किसी से भी लेना हो विस्तार चाहे किसी भी साम्राज्य का हो ...... वो किसी स्त्री की देह को ही कुचलता है स्त्री का दमन उसके लिए प्रतीक है उसकी बर्बर जीत का और,हम???? धड़ों