मणिपुर हो या मालदा...खतरनाक है आपका चयनित प्रतिवाद
मणिपुर की घटना निश्चित रूप से शर्मनाक है मगर उससे भी घटिया वो सिलेक्टिव प्रतिवाद है, राज्य और पार्टी देखकर अपने मुखर होने का समय चुनता है, चाहे आप लेफ्ट हों या राइट हों, आप जब अपने क्षेत्र की घटनाओं पर शर्मनाक चुप्पी ओढ़े रहते हैं और विरोधी पार्टी के राज्य की घटनाओं पर तीव्र प्रतिवाद करने लग जाते हैं,
विश्वास कीजिए आप सिर्फ एक पार्टी कार्यकर्ता और कैडर ही लगते हैं, जो अपनी पार्टी के प्रति वफादारी दिखाने में लगा है, प्रतिवाद जब टार्गेट करने पर आ जाता है, मुद्दा और न्याय, दोनों खत्म हो जाते हैं
आपका प्रतिवाद हमारे घावों पर मरहम नहीं नमक लगाता है क्योंकि आप प्रतिवाद की आड़ में भी अपनी रोटियाँ सेंक रहे होते हैं, शर्म कीजिए और बस कीजिए...बोलिए तो ईमानदारी से बोलिए वर्ना मुँह पर वही टेप लगाकर बैठिए, जो अब तक लगाए हुए थे
छीः
सत्ता किसी की भी हो,
युग कोई भी हो
जाति कोई भी हो
जीत किसी की भी हो
प्रतिशोध किसी से भी लेना हो
विस्तार चाहे
किसी भी साम्राज्य का हो
......
वो किसी स्त्री की
देह को ही कुचलता है
स्त्री का दमन उसके लिए
प्रतीक है उसकी बर्बर जीत का
और,हम????
धड़ों में, धर्मों में, राजनीति में,
विचार में बंटे लोग....
निभा रहे हैं कर्त्तव्य
...
कागज से लेकर इंटरनेट
पर शोक मनाकर, बस
अब ड्यूटी खत्म....
शोर.....सिर्फ शोर...
........
एक और नग्न वीभत्स दृश्य
की प्रतीक्षा तक
क्यों नहीं हथियार थमाते
क्यों काली से डरते हो....
आखिर कब तक उठाते रहेंगे
राम, कृष्ण तुम्हारी सुरक्षा का भार
कब तक आते रहेंगे द्रौपदी
तुम्हारी रक्षा को कृष्ण????
तब एक था, अब हर जगह हैं...
....
पता है तुम्हारा दोष कहाँ है
अब तक पुरुष ही जन्म देती रही
किसी और में खुद को खोजती रही
तुम खुद को समर्पित करती रही
सब छोड़ती रही, सिमटती रही
और वो तुम्हें लूटते रहे ,नोंचते रहे,
दुर्गा ने कभी किसी को नहीं पुकारा
अपनी रक्षा को कभी भी
स्त्रियों ने असंख्य असुर मारे हैं
रावण, दुर्योधन, दुःशासन का अंत
जरूर दिखाना, पर अबकी
मनुष्य को जन्म देना
उसे आदमखोर मत बनने देना
और बनने लगे....
वही करना जो देवियाँ करती आ रहीं हैं
(मन व्यथित है । लिखना खुद को मुक्त करना है....लाइक, कमेंट्स से आगे...वायरल संस्कृति से आगे, यह स्तब्ध होने का समय है...बात सिर्फ एक मणिपुर की नहीं...देश और दुनिया में हर क्षण स्त्रियां आपकी पशुता की भेंट चढ़ रही हैं..
वाचिक,मानसिक,शारीरिक....स्थान...राज्य...शासन से परे सोचिए...कितनी मनुष्यता है...वो मर रहे हैं...हम लड़ रहे हैं.... इस देश में स्त्री कभी सुरक्षित नहीं रही...क्योंकि आप मनुष्य बने ही नहीं...पुरुष ही रह गए...और स्त्रियां पुरुष ही बनाती रह गयीं, बेटों को, पति को, भाई को..दोस्तों को...उसने मनुष्य बनने ही नहीं दिया..
वीर भोग्या वसुंधरा....वाली मानसिकता. ..कब स्त्री को मनुष्य रहने देती है. ..सत्ता बदल देने से क्या होगा...निर्भया भूल गए??? पार्क स्ट्रीट भूल गए?? कामदुनी, हाथरस. ...राजस्थान. ..भंवरी देवी याद हैं????
आप सिर्फ एक पुरुष न रहकर मनुष्य और संवेदनशील बन जाइए. ..बेटियों की और पत्नी की नहीं. ..हर स्त्री को मानुष समझिए. ...तभी कुछ होगा ...पर अब बस कीजिए....🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
आपको क्या तापसी मलिक याद है.... किशोरी से दुष्कर्म के बाद जिसे जला दिया गया...जिसकी जली हुई देह का प्रचार कर एक महिला सत्ता में आई , जिनके एक नेता घरों में घुसकर दुष्कर्म की धमकियां देते रहे, या एक नेत्री के अन्तर वस्त्रों का रंग सरेआम बताने वाले नेता याद हैं...विधानसभा में घसीटी गयी जयललिता . अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं की बदसलूकी की शिकार बनी वो कांग्रेस नेत्री....जो पार्टी छोड़ने पर विवश हुईं...या गेस्ट हाउस कांड की शिकार मायावती??? और आप आम स्त्रियों को लेकर परेशान हैं...वो तो सब्जी- भाजी हैं या मांसल देह..बस और कुछ हो तो बता दीजिए
.इस देश में आगे बढ़ना है तो गूंगा, बहरा और अंधा बनना होगा...सही कहा न प्रियंका गांधी जी, मैडम स्मृति ईरानी और हमारी माननीया दीदी जी ???
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें