आरक्षण का स्वागत है परन्तु परिवर्तन की शुरुआत परिवार से होगी

संसद के दोनों सत्रों में महिला आरक्षण बिल पारित हो चुका है और राजनीति में महिलाओं की भागीदारी का मार्ग प्रशस्त हो गया है । लोकसभा में 454 और राज्यसभा में 215 मत बिल के समर्थन में पड़ें । निश्चित रूप से यह हम महिलाओं के लिए ऐतिहासिक एवं गौरवशाली क्षण है । उम्मीद है कि अगले दो सालों में जनसंख्या का अंतरिम डाटा जारी किया जा सकता है। वहीं, संसद ने देश में निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या बढ़ाने पर 2026 तक रोक लगा रखी है। अब तक देखा जाए तो निर्णायक पदों पर भागीदारी के परिप्रेक्ष्य में महिलाओं की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है । यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) और महिलाओं के सशक्तिकरण और लैंगिक समानता के लिए काम कर रहे संगठन यूएन वीमेन ने अपनी नई रिपोर्ट "द पाथ्स टू इक्वल" की रिपोर्ट के अनुसार सशक्तीकरण और लैंगिक समानता के लिहाज से भारत अब भी बहुत पीछे है । वैश्विक लिंग समानता सूचकांक (जीजीपीआई) के मुताबिक भारत में महिलाओं की स्थिति इसी बात से स्पष्ट हो जाती है कि जहां 2023 के दौरान संसद में महिलाओं की हिस्सेदारी केवल 14.72 फीसदी थी वहीं स्थानीय सरकार में उनकी हिस्सेदारी 44.4 ...