मन्दारमणि...लहरों की अटखेलियों में खुद को तलाशती दो लड़कियाँ
![चित्र](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh8hyphenhyphenamIrsWDCyyUUqTsb7TjImEB4-lapeVtxHcw2wrXwDY-Xe8RMJFnKfuj4vlrWXOy7bbVJzduRZ9Tc0SPa-5-jGwp4mLvMfVp8kabghXI4sx5-TTnG5FqpsqTQpnj4Q65Rk0OeZoXoH7/s640/MANDARMANI.jpg)
मन्दारमणि के समुद्र तट पर हम जल...जीवन है और जल आनन्द भी है....जल सृजन भी है और जल विनाश भी है मगर इन सबसे परे जल जीवन का सौन्दर्य भी है। प्रकृति और इतिहास, दोनों मुझे खींचते हैं और विशाल लहराता समुद्र तो बाँध लेता है। सबसे पहले काम के सिलसिले में ही 2008 -09 के बीच मुम्बई जाना हुआ और वहाँ पर जुहू बीच देखा था। उसके साथ वहाँ फैली गन्दगी भी देखी और शहर को राहत के छींटे देती लहरें भी देखीं मगर तब समुद्र अजनबी था। उसे जानने और देखने की इच्छा बलवती थी...आज वर्षों के बाद दुनिया घूमने और इतिहास को समझने की इच्छा प्रबल हो गयी है तो बस मौका मिलने पर भी भाग जाने का प्रयास करती हूँ। अच्छी बात यह है कि नियति और अवसर, दोनों मुझे अवसर देते हैं और एक अवसर इस बार भी मिला। कार्यालय के साप्ताहिक अवकाश के बीच एक दिन अपने लिए निकालने का और जब एक अपनी सी सहेली मिल जाए तो आनन्द को दोगुना तो होना ही था। वाराणसी से नीलम दो साल बाद जब कोलकाता आयी तो बस उसके सामने प्रस्ताव रखा और वह मान भी गयी..यह उसके लिए अनायास और अत्प्रत्याशित घटना थी, मेरे लिए यह सुखद आश्चर्य से भरा अवसर था। आखिरकार 3 जून को हम