जिस घर में जन्मी है...वह अधिकार वहीं से लेगी
![चित्र](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjN-k6h4rnNBjvk9JAwDOcYT4NJ5PQg93uNOLPGNfbRZyWjazDfGbinBrCoFqt9El29D3YaZm_lEVVz3JK7ofd_9K_bNf3kb-yUv02cqcArs4l3GD5xFtOiQCGBxfoi47IjU9HFgaD60OS3/w755-h976/woman.jpg)
सुप्रीम कोर्ट ने पैतृक सम्पत्ति में बेटियों को अधिकार दे दिया है...बात सुनने में जितनी सीधी लग रही है, उतनी है नहीं...क्योंकि इस बात को हजम कर पाना आपके पितृसत्तात्मक समाज के लिए इतना आसान नहीं है। ऐसा है कि अधिकार तो कानून ने पहले से ही दे रखे हैं मगर उनका पालन करवाने के लिए सरकारें कभी गम्भीर नहीं रहीं। फैसलों को लागू करवाना राजनीतिक हितों पर निर्भर करता है...कौन सी सरकार और कौन सी पार्टी अपने वोट बैंक को लेकर जोखिम उठाएगी...और सबसे बड़ी बात इतनी ईमानदारी किसमें है कि वह फैसले को मानकर ईमानदारी से अपने घर की औरतों को हक देना शुरू करेगा? भारत में बहुओं के हक की लड़ाई खूब लड़ी जाती है...बेटियों के लिए आवाज उठती है तो उसका अन्दाज भी गजब का होता है....दीवारों पर लिखे नारे...'कैसे खाओगे रोटियाँ...जब नहीं होंगी बेटियाँ'...मगर बहनों के लिए आप रक्षाबन्धन के दिन बसों में निःशुल्क यात्रा वाले ऑफर ही देखते हैं....। बहनों की बात कर रही हूँ क्योंकि पिता तो फिर भी अधिकार बेटी को दे ही दे मगर जिन घरों में पिता नहीं हैं....औऱ हों भी तो बेटियों का सम्पत्ति में अधिकार है, यह बात उनके लिए पचा