अमावस्या के बीच जलती और टूटती रही चाँदनी
चाँदनी बुझ गयी है। श्रीदेवी नहीं रहीं। 54 साल की उम्र में वह ये मायावी नगरी को छोड़कर चली गयीं। यह खबर सचमुच सदमा देने वाली है। अजीब बात यह है कि खूबसूरती की दास्तान लिखने वाले चेहरों की उम्र कम होती है। हर कोई, हर जगह श्रद्धांजलि देकर रूप की रानी को याद कर रहा है और दिमाग में ख्याल आ रहा है....क्या होगा इस खूबसूरत चेहरे के पीछे....दिल का दौरा....इतनी कम उम्र में। श्री तलाशतीं रहीं प्यार....प्यार उनको मिला भी...कई सितारों के साथ नाम जुड़ा...जाने कितनी बार टूटी होंगी....कितना मुश्किल रहा होगा बार – बार टूटे दिल को जोड़ना और फिर चेहरे पर चमकीली मुस्कान सजा लेना। खुद अपना और अपने साथ दो बेटियों की लड़ाई लड़ लेना...क्या इस जद्दोजहद ने श्री को छीना.... ? जयललिता....रेखा की तरह श्रीदेवी ने भी बेहद कम उम्र में काम करना शुरू कर दिया...बचपन उन्होंने भी नहीं देखा। जरा सोचिए तो क्या चल रहा होगा उस चार साल की बच्ची के दिमाग में जब उसे गुड़ियों की जगह संवाद रटाये जाते होंगे। कैसा लगता होगा उस बच्ची को जब वह दूसरे बच्चों को ललचायी आँखों से खेलते देखते होगी। नहीं...हम फिल्में दे...