इतना पता है कि वह पास ही हैं... और हमेशा रहेंगी
गुरुओं की महिमा का बखान खूब होता आया है...विद्यार्थियों से उम्मीद ही की जाती है कि वे गुरु को देखकर ही साष्टांग दंडवत करें...ठीक उसी तरह जैसे कि सबसे छोटे बच्चों को न चाहते हुए भी किसी भी अपरिचित रिश्तेदार के पैर उसकी अनिच्छा के बावजूद छूने की उम्मीद की जाती है मगर सम्मान ऐसी चीज है जिसे आप चाहकर भी हर किसी को नहीं दे सकते। सिर के झुकने का मतलब आत्मा का झुक जाना नहीं होता बल्कि वहीं से कई बार चिढ़ और खीज भी उत्पन्न हो जाती है। इस मायने में मैं एक बेहद खराब छात्रा हूँ...मुझे नमस्ते कह देना पसन्द है पर मुझसे हर किसी की चरण वंदना नहीं होती...आप मुझे जी भर कोसिए...आलोचना सुन लूँगी मगर मैं जिसका दिल से सम्मान नहीं करती, उसके पैर छूना तो दूर उससे बात भी नहीं कर पाती... आप इसे कमजोरी कहिए या ताकत...मगर मैं जो सोचती हूँ, वह मेरे दिल के साथ चेहरे पर भी होता है... जिद्दी हूँ...स्पष्टवादी हूँ...और यह अ लोकप्रिय होने के लिए पर्याप्त गुण हैं....लेकिन इसके बावजूद भी कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपनी छाप छोड़ जाते हैं....जब आप सारी दुनिया से निराश हो चुके होते हैं तो ईश्वर आपको थाम लेता है और वह किसी दे